🔰 झारखंड के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य 🔰Download PDF
1. बेतला राष्ट्रीय उद्यान, लातेहार
2. पलामू वन्य प्राणी अभयारण्य, पलामू
3. महुआटांड़ /महुआडानर भेंड़िया वन्य जीव अभयारण्य, लातेहार
4. हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य, हजारीबाग
5. दलमा वन्य जीव अभयारण्य, पूर्वी सिंहभूम
6. लावालोंग वन्य जीव अभयारण्य, चतरा
7. पारसनाथ वन्य जीव अभयारण्य, गिरिडीह
8. उधवा जल पक्षी अभयारण्य, साहेबगंज
9. पालकोट वन्य प्राणी अभयारण्य, गुमला
10. कोडरमा वन्य प्राणी अभयारण्य, कोडरमा
11. तोपचांची वन्य प्राणी अभयारण्य, धनबाद
12. गौतमबुद्ध वन्यजीव अभ्यारण, कोडरमा
1. बेतला राष्ट्रीय उद्यान, लातेहार :-
बेतला राष्ट्रीय उद्यान लातेहार जिला में अवस्थित है। इसकी स्थापना 1986 ई• में की गई थी। हालांकि यहां बाघ संरक्षण से संबंधित परियोजना की शुरुआत 1973 से ही शुरू हो चुका था। यह राष्ट्रीय उद्यान रांची-डाल्टेनगंज NH-75 सड़क मार्ग पर रांची से लगभग 156 कि०मी० की दूरी पर अवस्थित है। यहां 1932 में विश्व की पहली शेर गणना की गई थी। बेतला (BETLA) का पूरा नाम बायसन, एलीफेंट, टाइगर, लियोपार्ड, एक्सिस-एक्सिस है।
जिला – लातेहार
कुल क्षेत्रफल – 231.6 वर्ग कि०मी०
स्थापना वर्ष – 1986 ई•
वन्य प्राणी – बाघ, हाथी, सांभर, चीतल, बंदर, तेंदुआ, नीलगाय, मोर, जंगली सुअर, भालू, धनेश, इत्यादि।
2. पलामू वन्य जीव अभयारण्य, पलामू
बेतला राष्ट्रीय उद्यान के समीप ही पलामू वन्य जीव अभयारण्य अवस्थित है। यह अभयारण्य भी “पलामू” जिले में स्थित है। झारखंड का एकमात्र राष्ट्रीय स्तर का अभयारण्य “पलामू वन्य जीव अभयारण्य” है। जबकि शेष अन्य राज्य स्तरीय अभयारण्य है।
जिला – पलामू
स्थापना वर्ष:-1976 ई•
कुल क्षेत्रफल -794.33 वर्ग कि०मी०
वन्य प्राणी – हाथी, सांभर
3. महुआडांड़ / महुआडानर वन्यजीव अभयारण
महुआटांड वन्य जीव अभ्यारण भी लातेहार जिले में अवस्थित है। इस जिले में झारखंड का तीसरा वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र है। यह अभयारण्य “भेड़िए” के लिए जाना जाता है। इस कारण इस अभयारण्य को “महुआटांड भेड़िया अभयारण्य” के नाम से भी जाना जाता है। लातेहार जिले में अवस्थित महुआडांड़ वन्यजीव अभयारण्य विलुप्त प्राय ‘भेड़िया‘ प्रजातियों के संरक्षण हेतु प्रसिद्ध है।
जिला :- लातेहार
स्थापना वर्ष:-1976 ई•
कुल क्षेत्रफल :- 63.25 वर्ग कि०मी०
वन्य प्राणी :- भेड़िया, हिरण
4. हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य:-
हजारीबाग जिले में हजारीबाग-बरही पथ पर अभयारण्य अवस्थित है। हजारीबाग से इसकी दूरी लगभग 22 कि०मी० है। पशुओं के अवलोकन के लिए चार ऊंचे वॉच टावर बनाए गए हैं। जिनकी ऊंचाई 200 फीट है।
जिला – हजारीबाग
स्थापना वर्ष:-1976 ई•
कुल क्षेत्रफल -186.25 वर्ग किलोमीटर
वन्य प्राणी – तेंदुआ, हिरन, सांभर, नील गाय, चीतल, बाघ, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, लंगूर, बंदर, अजगर, नाग, धामिन इत्यादि
5. दालमा वन्य जीव अभयारण्य:-
दालमा वन्य जीव अभयारण्य झारखंड के दक्षिण-पूर्व में स्थित पूर्वी सिहंभूम जिले में है। यह राजधानी रांची से 195 कि०मी० दूर है। यहां का मुख्य आकर्षण “हाथी” है। 1992 ई• में दालमा वन्य जीव अभ्यारण में एशियाई हाथियों के स्व- स्थाने संरक्षण हेतु ‘हाथी परियोजना’ (Project Elephant) प्रारंभ किया गया था। वर्ष 2001 में केंद्र सरकार द्वारा यहां देश का पहला गज आरक्ष्य (Elephant Reserve) स्थापित किया गया।
जिला – पूर्वी सिंहभूम
स्थापना वर्ष:- 1976 ई•
कुल क्षेत्रफल -193.22 वर्ग कि०मी०
वन्य प्राणी – हाथी, तेंदुआ, हिरण, नीलगाय, बंदर, इत्यादि
6. लावालौंग वन्य जीव अभयारण्य, चतरा:-
लवलॉन्ग वन्यजीव अभयारण्य भारत के झारखंड राज्य में चतरा जिले के चतरा उपखंड में लवलॉन्ग सीडी ब्लॉक में स्थित है। लवलॉन्ग वन्यजीव अभयारण्य पहले रामगढ़ के राजा और क्षेत्र के अन्य जमींदारों के नियंत्रण में था। 1924 में सरकार ने कार्यभार संभाला और 1947 में यह एक निजी संरक्षित वन बन गया।
जिला :- चतरा
स्थापना वर्ष:-1978 ई•
कुल क्षेत्रफल :- 207.00 वर्ग कि०मी०
वन्य प्राणी :- बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, सांभर, हिरण, इत्यादि।
7. पारसनाथ वन्य जीव अभयारण्य, गिरिडीह:-
पारसनाथ की पहाड़ी झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है। इसी पहाड़ी के आसपास पारसनाथ वन्य जीव अभयारण्य अवस्थित है। यह वन्यजीव अभयारण्य गिरिडीह जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर की दूरी पर गिरिडीह-डूमरी पथ के निकट अवस्थित है।
जिला :- गिरिडीह
स्थापना वर्ष:- 1978 ई•
कुल क्षेत्रफल :- 43.33 वर्ग कि०मी०
वन्य जीव :- तेंदुआ, सांभर, हिरण, नीलगाय इत्यादि।
8. उधवा जल पक्षी अभयारण्य, साहेबगंज:-
यह अभयारण्य एक पक्षी अभयारण्य है। संथाल परगना प्रमंडल के साहेबगंज जिले से 40 कि०मी० की दूरी पर यह अभयारण्य अवस्थित है। यहां एक विस्तृत झील भी है, जो प्रवासी पक्षियों के निवास के लिए उपयुक्त है। जाड़े ऋतु में देश-विदेश से पर्यटक यहां के पक्षियों को देखने के लिए पहुंचते हैं। यहां मुख्यतः कबूतर, चुंडुल, वन मुर्गी, खंजन, बुलबुल, नीलकंठ, इत्यादि देखने को मिलता है।
जिला :- साहेबगंज
स्थापना वर्ष:- 1991 ई•
कुल क्षेत्रफल :-5.65 वर्ग कि०मी०
वन्य जीव :- कबूतर , चुंडुल , वन मुर्गी , खंजन , बुलबुल , नीलकंठ , इत्यादि।
9. पालकोट वन्य जीव अभयारण्य, गुमला:-
गुमला जिले में अवस्थित यह मनारेम स्थल कई तरह के वन्य प्राणियों के लिए प्रसिद्ध है। इस अभयारण्य का विस्तार सिमडेगा जिले में भी है। रांची से 120 कि०मी० की दूरी पर स्थित है। इस अभयारण्य में भालू, लकड़बग्घा, भेड़िया, सियार, बंदर, खरगोश, इत्यादि। पालकोट झारखंड का ऐतिहासिक धरोहर भी है। यहां राजाओं के महलों के अवशेष पाए जाते हैं।
जिला :- गुमला
स्थापना वर्ष:-1990 ई•
कुल क्षेत्रफल :- 183.18 कि०मी०
वन्य जीव :- भालू, ललकड़बग्घा, तेंदुआ, भेड़िया, सियार, बंदर, खरगोश, जंगली भालू इत्यादि।
10. कोडरमा वन्य प्राणी अभयारण्य :-
रांची पटना मार्ग पर कोडरमा से 10 कि०मी० की दूरी पर अवस्थित है। यहां शेर, बाघ, चीता, हाथी, चीतल, हिरण, बंदर, इत्यादि वन्य जीव पाए जाते हैं। कोडरमा वन्य प्राणी अभ्यारण और गौतम बुद्ध वन्य प्राणी अभ्यारणय दोनों पास ही स्थित है.
जिला :- कोडरमा
स्थापना वर्ष:- 1985 ई•
कुल क्षेत्रफल :- 177.35 वर्ग कि०मी०
वन्य जीव :- बाघ, चीता, हाथी, चीतल, हिरण, बंदर, तेंदुआ इत्यादि।
11. तोपचांची वन्यजीव अभयारण्य, धनबाद:-
धनबाद से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तोपचांची वन्य जीव अभयारण्य। तोपचांची वन्यजीव अभयारण्य 8.75 वर्ग किमी से अधिक फैला हुआ है। क्षेत्र काफी छोटा है, फिर भी कुछ हानिरहित जानवर यहां रहते हैं। झील के आस-पास का क्षेत्र धार्मिक लोगों, विशेष रूप से जैन और हिन्दू समुदाय के लोगो द्वारा खोजा जाता है।
जिला :- धनबाद
स्थापना वर्ष:- 1978 ई•
कुल क्षेत्रफल :-8.75 वर्ग कि०मी०
वन्य जीव :- तेंदुआ , हिरण , इत्यादि
12. गौतम बुद्ध अभयारण्य, कोडरमा:-
यह अभयारण्य भी कोडरमा जिले में ही स्थित है। जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर पर गौतम बुद्ध अभयारण्य स्थित है। इसी क्षेत्र में पहाड़पुर फॉरेस्ट रेस्ट हाउस अवस्थित है। यहां बाघ, हिरण आदि पाए जाते हैं।
जिला:- कोडरमा
स्थापना वर्ष:- 1976 ई•
कुल क्षेत्रफल:- 259 वर्ग कि०मी०
वन्यजीव:- चीतल, सांभर, नीलगाय